Tuesday, February 3, 2009

अधिकार को लेकर भी जागरुकता जरूरी है...

दोस्तों ये मंच आपका है...अगर घूमते फिरते, पढ़ते लिखते कोई बात अच्छी लग जाए...और आप उसे दूसरों से भी शेयर करना चाहें तो...आप लिख कर हमें भेज सकते हैं...पेश है टीवी पत्रकार श्याम किशोर की प्रतिक्रिया...सूचना के अधिकार पर आधारित पत्रिका 'अपना पन्ना' के बारे में...


पिछले लंबे समय से देश में सूचना के अधिकार की चर्चा है, कानून बना है तो लगता है जैसे बहुसंख्य आबादी को खुली हवा में सांस लेने का मौका लगा है, सूचना के अधिकार पर लंबे अरसे से
निकल रही पत्रिका अपना पन्ना पढ़ने का मौका मिला, एक जरूरी पत्रिका के लिए पंकज जी और उनकी पूरी टीम को साधुवाद, पत्रिका में सूचना के अधिकार से जुड़े कई विषयों को छूने की कोशिश होती है, ये देखकर अच्छा लगा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे प्रयास हो रहे हैं जिनकी हम चर्चा किया करते हैं, मेरी समझ में चर्चा से आगे बढ़कर अच्छे लोगों को एक दूसरे का सहारा बनने की जरूरत ज्यादा है, एक गंभीर विचारक, लेखक और अच्छे वक्ता को समय के साथ अपनी भूमिका बदलते हुए उन विचारों के ज़मीन पर उतारने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए, समय तो निकलता जाता है, उसे हाथ से पकड़ कर आप रोक नहीं सकते हैं जरूरत रोकने की है भी नहीं समय को समझते हुए काम करने की है, पत्रिका एक अच्छे मार्गदर्शक के रूप में आपना काम कर रही है, सूचना का अधिकार दरअसल जागरूकता का सवाल है, काननू पहले भी कम नहीं थे, सूचना के अधिकार से राह काफी आसान हुई है लेकिन मामला लोगों को जागरूक करने का है, एक बड़ी आबादी अभी भी सूचना के अधिकार से वाकिफ नहीं है, ये वो आबादी है जो बहुत कुछ से वाकिफ नहीं है, उन्हें पहले काफी सारी बातों से अवगत कराना होगा, सूचना का अधिकार तभी ठीक से काम कर सकता है, मेरी जानकारी में इसका इस्तेमाल अभी वही सारे लोग कर रहे हैं जिन्हें इसके नहीं होने से बहुत फर्क नहीं पड़ रहा था, मै किसी भी हाल में सूचना के अधिकार की अहमितय से इनकार नहीं कर रहा लेकिन इसके साथ जो कुछ बाकी चीजें होनी है उसे भी साथ साथ और उसी गंभीरता से किये जाने की जरूरत है, लिहाज़ इस ओर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है.

3 comments:

  1. उत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
    नियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।

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